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Monday, June 7, 2021

92: गरीबी, भुखमरी, मास्क्स, डिस्टैनसिंग, नया प्रकोप, पशुधन उद्योग की बंदी।

 SARS-CoV-2 नाम के एक दिखाई न पड़ने वाले दुश्मन से निपटने के लिए पूरी दुनिया सदमे में है। और, कुछ ही महीनों में, दुनिया भर में लॉकडाउन ने विश्व की इकॉनमी को 1929 के क्रैश से भी बदतर स्थिति में पहुंचा दिया है।


जिस विध्वंस को हम देख रहे हैं, वह दुनिया भर के देशों में लाखों गरीब लोगों पर असर डाल रहा है, जो ज़्यादा गरीबी में मजबूर हो गए हैं, साथ ही लाखों लोग मौत की असली संभावना का सामना कर रहे हैं। यहाँ तक कि यह मिडिल क्लास को भी प्रभावित कर रहा है, जिसके पास अभी तक तो नौकरी थी, जिसके चलते वे एक अच्छा जीवन जी पा रहे थे।

हालांकि इस बात के बहुत से सबूत हैं कि झूठे दावों से इस मानसिक विकार को जन्म दिया जा रहा है। 2.5 बिलियन लोगों के लिए, जो प्रतिदिन दो डॉलर से कम पर ज़िंदा रहते है, उनके लिए इस नए वायरस का असर विनाशकारी हो सकता है।


इस नई डॉक्यूमेंट्री में, हम दुनिया भर के पॉलिटिशियन्स, राष्ट्रपतियों, वकीलों, डॉक्टरों, इममुनोलॉजिस्ट्स और वैज्ञानिकों के टेस्टीमोनियल को ऐनालाइज करते हैं, जो सच्चाई को सामने ला रहे हैं और इस पहले कभी न हुए स्वास्थ्य संकट के पीछे के घोटाले को बता रहे हैं।

हम इस बात पर चर्चा करते हैं कि किस तरह से डर का इस्तेमाल हमें अपनी फंडामेंटल फ्रीडम्स को छोड़ने के लिए मजबूर करने के लिए किया जा रहा है, जो हमारे स्वास्थ्य और पूरे विश्व की इकॉनमी को खतरे में डाल रहा है। क्या क्वारंटाइन वाकई असरदार है?

हम पर लगाए गए उपायों के बारे में क्या है, जैसे कि सामाजिक दूरी(सोशल डिस्टैंसिंग) जो एकांत और अलगाव की ओर ले जाती है या आबादी को धूप सेंकने से रोकती है, जब कि इम्यून सिस्टम के लिए धूप तो बहुत जरूरी है।

उन उपायों के बारे में क्या जो हमारे मूवमेंट को नियंत्रित करते हैं या कुल मिलाकर हमारी स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाते हैं? क्या आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से डिक्टेटोरियल कंट्रोल (तानाशाही नियंत्रण) और कैश-लेस सिस्टम के साथ आखिरकार एक विश्व सरकार की स्थापना करते हुए मानवता को 90 फीसद कम करने का लक्ष्य है?

जैसा कि हम देख रहे हैं, खाने और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी, मीट इंडस्ट्री का शट-डाउन और प्रोडक्शन चेन का कोलेप्सफ़ूड क्राइसिस, कुपोषण और भूख का सामना करने के लिए दुनिया भर में सभी परिवारों को मजबूर कर रहा है।