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Monday, June 7, 2021

91: नोआह की आर्क, बिल गेट्स, माइक्रोचिप्स, भूख, WHO एजेंडा, वैक्सीन, डी-पॉप्युलेशन

 जैसे-जैसे यह नई महामारी पूरे विश्व में फैल रही है, मरने वालों की संख्या बिना रुके बढ़ती जा रही है। बावजूद इसके, ज़्यादातर मौतें दूसरी बीमारियों की वजह से हो रही हैं। संक्रमित होने वाले 94% लोगों को पहले से ही कुछ स्वास्थ्य समस्याएं थी। इन नंबर्स को बढ़ा चढ़ाकर बताना और पब्लिक में डर बढ़ाना जरूरी सा लगने लगा है ।


अब यह भी साफ पता चल रहा है की क्वॉरेंटाइन के तरीके और जबरदस्ती लॉकडाउन लगाने से कई नकारात्मक असर सामने आए हैं, खासतौर पर शारीरिक, मानसिक और आर्थिक स्तरों पर। इसी वजह से दुनिया भर में कई जगह प्रोटेस्ट हो रही हैं, क्योंकि कई जाने-माने एक्टिविस्ट, साइंटिस्ट फिजीशियन और विरोलॉजिस्ट इन सभी के पीछे छुपी हुई चीजों को सामने लेकर आ रहे हैं।


हम एविडेंस (सबूत) और वैज्ञानिक रिपोर्ट्स के आधार पर एक गहरा विश्लेषण (एनालिसिस) पेश कर रहे हैं जिसमें मॉलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट जूडी मिकोविट्स, यूएस अटॉर्नी जनरल विलियम बार, लॉयर रोबर्ट फ्रांसिस केनेडी जूनियर, जर्मन एपिडेमियोलॉजिस्ट नट विट्टकोव्स्की, मॉलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट ब्रूस लिप्टन, फ्रेंच बायोलॉजिस्ट और मेडिसिन में नोबेल प्राइज विजेता लुक मोन्टाग्नियर, इन्वेस्टिगेटिव जॉर्नलिस्ट वनेसा बीले, डेनिश फिजिशियन और साइंटिस्ट पीटर गोटशे, ऑस्ट्रेलियन जर्नलिस्ट जेन बर्गरमीस्टर, फिजिशियन और रिसर्चर जोसेफ़ मेरकोला, राइटर डेनियल एसटुलिन और दुनिया भर के कई लोगों की टेस्टिमोनी (गवाही) भी शामिल है।


फिर भी, इस महामारी, जिसकी शुरुआत का किसी को पता भी नहीं है, के पीछे ऐसा क्या है जो दुनिया भर में तबाही मचा रहा है?


क्या ऐसा हो सकता है कि यह हमारी विनम्र, असुरक्षित मानव प्रजाति पर हावी होने की रणनीति हो जिसमें WHO और उसे फण्ड करने वाली संस्थाएं, जैसे कि बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, रॉक फ़ेलर फाउंडेशन, फ़ोर्ड और रोथ्सचाइल्ड ग्रुप आदि, खुद ही कि बनाई हुई महामारी का बहाना देकर कंपल्सरी (अनिवार्य) वैक्सीनेशन को इम्पलीमेंट कर रहे हैं, जिसके जरिये वे माइक्रो चिप जैसी टॉक्सिक चीज़ें हमारे अंदर इम्प्लांट करके जनसंख्या को कम करने और अनजान मानव प्रजाति को कंट्रोल करने के अपने एजेंडे को पूरा कर सकें।